हफ्तेभर राशन नहीं मिला, फिर 1350 किमी. दिव्यांग मामा को लेकर चल दिया बिहार, तब आया राशन लेने का फोन


आठ दिन में तय की गांव की 1350 किलोमीटर की दूरी

जब खाने का संकट पैदा हुआ तो वह अपने दिव्यांग मामा को साइकिल से लेकर गांव की ओर निकल पड़े। उन्होंने बताया उनके पास करीब ढाई-तीन हजार रुपए बचे थे। उसमें से गांव जाने के लिए दो हजार की पुरानी साइकिल खरीद ली। वह 24 अप्रैल को सुबह 4 बजे चले और 1 मई को गांव पहुंच गए। बबलू ने बताया वह एक दिन में करीब 170 किलोमीटर की दूरी तय करते थे। पुलिस की सख्ती से गांवों में घूमकर जाना पड़ा।