ऑनलाइन दवा का कारोबार करने वाली कंपनियों ने पीठ से दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर लगी रोक हटाने की मांग की है। याचिका में कंपनियों ने कहा कि उनके पास लाइसेंस है और कोई भी दवा गैर-कानूनी तरीके से नहीं बेची जा रही है। दवाएं ऑनलाइन तभी बेची जाती हैं जब डॉक्टर का मान्य पर्चा उपलब्ध कराया जाता है।
राजधानी सहित देशभर के ऑनलाइन दवा कारोबारियों को हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने मंगलवार को ऑनलाइन दवा की खुली बिक्री पर प्रतिबंध के अपने आदेश को वापस लेने से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव की पीठ ने कहा कि ऑनलाइन दवा की बिक्री को लेकर नए कानून के बनने तक प्रतिबंध लगाने का आदेश आदेश प्रभावी रहेगा। हाईकोर्ट ने 18 दिसंबर को भी कारोबारियों को राहत देने से इनकार करते हुए ऑनलाइन दवा की खुली बिक्री की इजाजत देने से इनकार कर दिया था।
पीठ ने कहा है कि समस्या यह है कि अभी इसके नियमन के लिए कोई नियम नहीं हैं। ऐसे में अनियंत्रित दवा के कारोबार को इजाजत नहीं दी जा सकती है। इस मामले में केंद्र सरकार ने पीठ को बताया कि ऑनलाइन दवा की खुली बिक्री को लेकर नए नियम बनाए जा रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा कि सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में मजबूती से अपना पक्ष रखा है और कहा है कि विभिन्न समितियों की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए कि नियम अभी बनाए जाने हैं, ऐसे में फिलहाल अंतरिम आदेश में बदलाव नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने ऑनलाइन दवा का कारोबार करने वाले फार्मेसी कंपनियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया है।